बात 9 अक्टूबर 2024 की है, उस दिन भारत की शान और महान व्यक्तित्व वाले रतन टाटा जी ने अंतिम सांस ली अगले दिन एक एंबुलेंस रतन टाटा का पार्थिव शरीर ले घर से निकली तो एक नौजवान एंबुलेंस के आगे-आगे चलता दिखाई दिया, यह नौजवान और कोई नहीं 31 साल के Shantanu Naidu (शांतनु नायडू) थे, Ratan Tata Friend Shantanu Naidu जी…
Ratan tata friend shantanu naidu: शांतनु नायडू रतन टाटा जी के जिगरी दोस्त माने जाते हैं वह रतन टाटा के जिगरी दोस्त कैसे बने उनकी मृत्यु के बाद अब वह इस समय कहां पर है? क्या कर रहे हैं ? आए जानते है इन सारे सवालो के जवाब…..
Who is Ratan tata friend shantanu naidu who has become such a popular face at such a young age? कौन है रतन टाटा के दोस्त शांतनु नायडू जो इतनी छोटी सी उम्र में इतना चर्चित चेहरा बने हुए हैं:
शांतनु नायडू का जन्म 1993 में मुंबई में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था, शांतनु नायडू, एक प्रसिद्ध भारतीय बिज़नेसमैन, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर, लेखक और इंटरप्रेन्योर हैं. शांतनु ने साल 2010 में सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 2014 में यहां से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) की पढ़ाई की। शांतनु ने साल 2014 में पुणे में टाटा एलेक्सी में ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर के तौर पर काम शुरू किया। टाटा एलेक्सी में शांतनु ने सितंबर 2014 से जुलाई 2016 तक काम किया. इसके बाद शांतनु अमेरिका चले गए. यहां न्यूयॉर्क के कॉर्नेल जॉनसन ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में 2016 से 2018 के बीच एमबीए की पढ़ाई की.जुलाई 2018 में शांतनु को टाटा ट्रस्ट्स में चेयरमैन के कार्यालय का उप महाप्रबंधक बना दिया गया. मई 2022 में वह रतन टाटा की निजी निवेश कंपनी आरएनटी कार्यालय में महाप्रबंधक बने। वहीं से उनकी और रतन टाटा जी की दोस्ती का सिलसिला शुरू होता है लेकिन कैसे एक 31 साल का लड़का कैसे रतन टाटा का जिगरी दोस्त बन सकता है आईए जानते हैं
आखिर कैसे बने Ratan Tata Friend Shantanu Naidu: शांतनु नायडू और रतन टाटा जिगरी दोस्त कैसे बने:
शांतनु नायडू रतन टाटा के लिए एक एम्प्लोयी नहीं थे रतन टाटा और शांतनु की उम्र में ५.५ दशक का फर्क था लेकिन उनकी बॉन्डिंग बहुत ही शानदार थी रतन टाटा की अंतिम यात्रा में शांतनु नायडू को हर जगह देखा गया। इनकी जुगलबंदी बहुत ही अद्भुत थी, इनकी दोस्ती की सबसे बड़ी वजह दोनों का कुत्तों के लिए प्यार होना, बात ऐसी है कि शांतनु नायडू कुत्तों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए आवारा कुत्तों के लिए अंधेरे में चमकने वाली कॉलर डिजाइन करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने रतन टाटा जी से सहायता के लिए संपर्क किया था रतन टाटा जी को शांतनु का यह विचार बहुत ही पसंद आया क्यों की यह सभी जानते हैं कि रतन टाटा कुत्तों को कितना प्यार करते थे रतन टाटा जी ने शांतनु को उनके इस कार्य के लिए सहायता प्रदान की और यही से उन दोनों की दोस्ती की शुरुआत होती है। इस जुड़ाव के बाद शांतनु रतन टाटा के संपर्क में रहे और अक्सर उनसे सलाह और मार्गदर्शन लेते रहे. इस तरह से दोनों में दोस्ती बढ़ती गई. शांतनु ने इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन मैंने रतन टाटा को कॉर्नेल में एमबीए करने की अपनी योजना के बारे में बताया. जैसे ही मुझे कॉर्नेल में दाखिला मिला मैंने टाटा को बताया कि मैं स्नातक होने के बाद टाटा ट्रस्ट में योगदान करने का अवसर तलाशने के लिए भारत लौटूंगा. जब शांतनु अपनी डिग्री लेकर वापस लौटे तो रतन टाटा ने उन्हें अपने कार्यालय में शामिल होने के लिए कहा. शांतनु जून 2017 से ही टाटा ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं. इसका जिक्र उन्होंने अपने लिंक्डइन प्रोफाइल में भी किया है. शांतनु नायडू टाटा समूह में काम करने वाले अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं. यह कहानी है Ratan Tata Friend Shantanu Naidu की और उनकी उम्र से परे दोस्ती की ….
What is Ratan Tata Friend Shantanu Naidu doing currently? वर्तमान में शांतनु नायडू क्या कर रहे हैं।
रतन टाटा के निधन के बाद वे क्या कर रहे हैं? उन्होंने लिंक्डइन पर इसकी जानकारी दी है. शांतनु नायडू अपने पोस्ट के जरिए बताया कि वे एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो पहले मुंबई में लॉन्च किया. शांतनु नायडू का ये जुनूनी प्रोजेक्ट ‘बुकीज’ है, जो एक साइलेंट रीडिंग की सुविधा प्रोवाइड कराता है. बुकीज, एक पढ़ने वाला समुदाय है, जहां लोग सार्वजनिक स्थानों पर एकत्रित होकर चुपचाप पढ़ते हैं. जल्दी ही यह प्रोजेक्ट जयपुर में लांच होने जा रहा हैं ,” बुकीज”एक प्रकार का पढ़ने का सेशन है जिसमें पढ़ने के महत्व को वापस लाने पर बल दिया जा रहा है, स्टेशन में लोक शांतिपूर्वक मौन रहकर पढ़ सकते हैं कह सकते है “बुकीज “एक साइलेंट रीडिंग सुविधा है..
यह हैं ratan tata friend shantanu naidu की अद्भुत कहानी॥ दोस्ती की एक अगल कहानी !
बहुत ही शानदार